शाहजहांपुर। रेलवे के ट्रैकमैनों को अब पैदल नहीं चलना होगा। जल्द ही उनको रेलवे ट्रैक पर चलने वाली साइकिल मिलेगी। इससे वह कम समय में अधिक दूरी तक ट्रैक का निरीक्षण कर सके। अभी तक पैदल ट्रैक का निरीक्षण करने पर जहां पांच किलोमीटर की दूरी एक घंटा में पूरी हो पाती थी, वहीं अब इस काम में आधा समय ही लगेगा। साइकिल का अविष्कार रेलवे इंजीनियरिंग विभाग मारवाड़ के अधिकारियों ने किया है।
सर्दी, गर्मी और बारिश कोई भी मौसम हो ट्रैकमैन ट्रेनों के संचालन में अहम भूमिका निभाते हैं। इनकी वजह से बड़े-बड़े हादसे होने से बच जाते हैं। यूं भी कहा जा सकता है कि डेढ़ लाख किलोमीटर से भी ज्यादा लंबा भारतीय रेलवे ट्रैक इनके कंधों पर रहता है। एक ट्रैकमैन की नौकरी का ज्यादा समय ट्रैक के किनारे काम करते गुजरता है। ट्रैकमैन ही अक्सर रेलवे की भारी पटरियों को उठाने का काम करते हैं। ट्रैक के रख-रखाव की पूरी जिम्मेदारी इनकी ही होती है। इसके लिए इन्हें रोजाना रेलवे ट्रैक का पैदल ही निरीक्षण करना होता है, जिससे पटरी के चटके होने आदि की जानकारी हो सके। उनके द्वारा ही उच्चाधिकारियों को अवगत कराने पर रेलवे ट्रैक की मरम्मत का कार्य शुरू कराया जाता है। इन ट्रैकमैनों को सहूलियत देने के लिए ही रेलवे ट्रैक पर चलने वाली साइकिल का अविष्कार किया गया है। साइकिल के मिलने पर ट्रैकमैन को रेलवे ट्रैक की निगरानी के लिए पैदल नहीं चलना पड़ेगा। जुलाई-अगस्त की बारिश, जनवरी, फरवरी महीने में कोहरे और मई जून में तपती धूप के मौसम में साइकिल से ट्रैक की देखभाल करने में काफी आराम मिलेगी। अभी तक एक ट्रैकमैन एक घंटे में पांच किलोमीटर की दूरी तय कर पाते थे और इतना ही समय वापसी में लगता था। साइकिल से न सिर्फ एक बार में ही दोनों साइड की पटरी का निरीक्षण संभव होगा, बल्कि मानव श्रम और समय की बचत भी होगी।
साइकिल बनाने में आई पांच हजार की लागत
रेल अधिकारियों के मुताबिक, साइकिल के निर्माण में 5000 हजार रुपये की लागत आती है। साइकिल से जहां ट्रैकमैन को पैदल चलने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वहीं पटरी पर किसी भी साइड में कोई खराबी होने पर एक बार में ही जानकारी हो जाएगी और उस ओर से आने वाली ट्रेन के चालक को सावधान किया जा सकेगा। साथ ही ट्रैकमैन को पैदल चलकर अपने थैले में हथौड़ा, पेचकस, प्लास, रिंच आदि का बोझ कंधे पर लेकर नहीं चलना होगा।
रेलवे ट्रैक की निगरानी के लिए साइकिल का अविष्कार किया गया है। इसका ट्रायल हो चुका है और जल्द ही ट्रैकमैैनों के लिए उपलब्ध कराई जा सकती है। लेकिन अभी इसकी अनुमति इंजीनियरिंग विभाग अथवा आरडीएसओ ने नहीं दी है। अनुमति मिलने पर साइकिल ट्रैकमैनों को दी जाएगी। - वीके श्रीवास्तव, रेल पथ निरीक्षक