लखनऊ। उत्तर प्रदेश के शराब और बीयर विक्रेता अब कारोबार करने को तैयार नहीं हैं। कोरोना संकट की वजह से उपजे हालात में बढ़ती आर्थिक दिक्कतों के चलते शराब और बीयर की लगातार घटती जा रही बिक्री और प्रदेश सरकार की नई आबकारी नीति में देसी व अंग्रेजी शराब का निर्धारित कोटा हर हाल में उठाने की बाध्यता की वजह से इन विक्रेताओं को अब राज्य में मयखाने चलाने का कारोबार रास नहीं आ रहा है।
रविवार को इस बारे में मॉडल शाप, बीयर, देसी व अंग्रेजी शराब के फुटकर विक्रेताओं की एक गोपनीय बैठक हुई। इस बैठक में सोमवार के लिए रणनीति तय की गई। इस रणनीति के तहत सोमवार की सुबह 10 बजे से 12 बजे के बीच फुटकर दुकानों पर उपलब्ध पुराने स्टाक का वेरीफिकेशन होगा। इसके बाद यह विक्रेता जिला आबकारी कार्यालय पहुंचेंगे जहां अपने पुराने स्टाक का ब्यौरा देने के साथ ही दुकान सरेंडर करने का पत्र भी सौंपेंगे।
यह भी आशंका जताई जा रही है कि लखनऊ समेत कई जिलों में सोमवार को शराब और बीयर की बिक्री हो ही न और दुकानें बंद रखी जाएं। इसी क्रम में शराब विक्रेता वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव कन्हैया लाल मौर्य एक सप्ताह पहले ही लखनऊ के जिलाधिकारी को पत्र सौंप चुके हैं। श्री मौर्य की मांग है कि शराब की बिक्री से कोटे की बाध्यता खत्म की जाए और लाइसेंस शुल्क भी घटाया जाए। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया है कि सोमवार को शराब की दुकानें बंद करने का फैसला लेने वाले फुटकर विक्रेताओं के साथ उनका संगठन नहीं है।
इसके अलावा आबकारी विभाग के अन्य अफसरों के पास लखनऊ के अलावा अन्य जिलों से भी तमाम फुटकर विक्रेताओं के दुकान सरेंडर करने की इच्छा जताते हुए पत्र पहुंच रहे हैं। इन पत्रों को लेकर विभाग में हड़कंप मच है। विक्रेताओं का कहना है कि कोरोना संकट की वजह से उपजे आर्थिक हालात में अब शराब और बीयर की बिक्री मुनाफे का नहीं बल्कि भारी नुकसान का कारोबार हो गया है।
जो भी शराब व बीयर के फुटकर विक्रेता अपनी दुकानें चलाने के इच्छुक नहीं हैं। अगर वह अपनी दुकान सरेण्डर करेंगे तो हम उसे स्वीकार कर लेंगे। मगर इस मामले में हम उन्हें कोई रियायत नहीं देंगे। जो दुकानें सरेण्डर होंगी वह दूसरे इच्छुक कारोबारियों से आवेदन आमंत्रित करवाकर उन्हें आवंटित किए जाने की कार्यवाही की जाएगी। -संजय आर. भूसरेड्डी, प्रमुख सचिव आबकारी उ.प्र.