लखनऊ। दादा परदादा टेम्पो टैक्सी चलाया करते थे। आज लखनऊ में उन्हीं के पुश्तैनी धंधे को टेम्पो ड्राइवर आगे बढ़ा रहे है। पर, लॉकडाउन ने इनके धंधे पर ब्रेक लगा दिया। लाखों रुपये डूब गए। दो माह गुजरने वाले है, टेम्पो का कारोबार पूरी तरह से पटरी से उतर गया। ऐसे में हजारों परिवार के सामने पेट पालने का संकट हो गया है। लखनऊ में 23 सौ के करीब टेम्पो है। जोकि शहर के 37 मार्गो पर चलते है। इन टेम्पो से रोजाना तीन लाख के करीब यात्री सफर करते थे। इस व्यवसाय करीब 20 लाख रुपये की आमदनी होती थी। इससे पांच हजार ड्राइवर सहित मालिक और उनका परिवार टिका था। आज लॉकडाउन के दौरान हजारों परिवार आर्थिक मदद के नाम पर जूझ रहा है। दिल्ली के तर्ज पर पांच हजार की मदद मांगीटेम्पो टैक्सी महासंघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेश राज ने बताया कि प्रदेश सरकार की ओर से एक हजार रुपये की मदद कुछ ही ड्राइवरों के खाते में पहुंचा है। ऐसे में दिल्ली सरकार के तर्ज पर हर टेम्पो चालकों व मालिकों को पांच हजार की मदद देने की मांग की है।
टेम्पो के पुस्तैनी धंधे में लाखों रुपये डूब गए