लखनऊ । एसजीपीजीआइ के कॉर्डियोलॉजी विभाग में बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। इमरजेंसी में आए हृदय रोगी की कोरोना रिपोर्ट आए बगैर पेसमेकर लगा डाला। वहीं, अगले दिन रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर अफरातफरी मच गई। एमआइसीयू में भर्ती कई गंभीर मरीजों की जिंदगी दांव पर बन गई है।
गोरखपुर की बरगदरा निवासी 60 वर्षीय महिला को हार्ट में दिक्कत हुई। परिवारजन 15 मई को मरीज को लेकर एसजीपीजीआइ पहुंचे। मरीज को होल्डिंग एरिया में भर्ती कर कोरोना जांच के लिए सैंपल भेज दिया गया। वहीं, रिपोर्ट आने से पहले ही 16 मई की शाम को उसे कैथ लैब में शिफ्ट कर दिया गया। इस दौरान कॉडियोलॉजी के सीनियर-जूनियर डॉक्टरों की टीम ने मरीज में पेसमेकर लगा डाला। इसके बाद मरीज को एमआइसीयू में शिफ्ट कर दिया।
संक्रमित को गंभीर रोगियों के बीच किया भर्ती
कॉर्डियोलॉजी के एमआइसीयू में पांच गंभीर मरीज भर्ती थे। इनके बीच संक्रमित मरीज को भी शिफ्ट कर दिया गया। वहीं, 17 मई को महिला की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर विभाग में अफरातफरी मच गई। संक्रमित को कोविड अस्पताल में शिफ्ट किया गया। वहीं, एमआइसीयू के भर्ती अन्य मरीजों को स्वाइन फ्लू वार्ड में भर्ती किया गया। कैथ लैब-एमआइसीयू को बंद कर सैनिटाइज किया गया। सोमवार को एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी, पेसमेकर लगाने का काम ठप रहा।
23 मई से लगनी थी ड्यूटी, हुए क्वारंटाइन
कॉर्डियोलॉजी के विभागाध्यक्ष समेत दस डॉक्टर मरीज के संपर्क में आए। इसमें जूनियर डॉक्टर भी हैं। वहीं, 10 के करीब नर्स व कर्मचारी संपर्क में आए। सभी को क्वारंटाइन कर उनके सैंपल जांच के लिए भेज दिया गया। वहीं, 23 मई से कार्डियोलॉजी विभाग के स्टाफ की ड्यूटी कोविड के संदिग्ध मरीजों के वार्ड में लगानी जानी थी। इन्हें क्वारंटाइन किए जाने से ड्यूटी का शेड्यूल भी बदलना होगा।
जिम्मेदार मौन, उठे सवाल
संस्थान के निदेशक डॉ. आरके धीमान से संबंधित मसले पर पक्ष जानने के लिए कई बार फोन किया गया, मगर उनका फोन नहीं उठा। साथ ही कॉर्डियोलॉजी के विभागाध्यक्ष ने भी फोन नहीं उठाया। नर्सिंग एसोसिएशन की अध्यक्ष सीमा शुक्ला ने विभागाध्यक्ष पर लापरवाही का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कोविड की रिपोर्ट आने का इंतजार नहीं किया गया।