नकारात्मक विचारों से कमजोर होती है इम्यूनिटी


लॉकडाउन में नकारात्मक विचार आपको दुखी और चिंतित महसूस करा सकते हैं। इसलिए यह सीखना महत्वपूर्ण है कि उनसे कैसे निपटें? नकारात्मक विचार हमें चिंता, अवसाद और उदासी की भावना की ओर ले जाते हैं। एक शोध में तो यहां तक कहा गया है कि नकारात्मक विचार रखने वाले लोगों की इम्यूनिटी कम होती है, जबकि आशावादी दृष्टिकोण से शरीर की ताकत बढ़ती है। मनोवैज्ञानिक मार्टिन सेलिगमैन कहते हैं कि आशावादी लोग निराशावादियों के विपरीत नकारात्मक चीजों को नजरअंदाज करते हैं। वे हर परिस्थिति का बुद्धिमानी से सामना करते हैं। 


‘ना’ को ‘हां’ से बदल डालें -
नकारात्मक विचारों से निपटने का एक तरीका, उन्हें उन विचारों से बदलना है, जो आपको बेहतर महसूस कराते हैं। जैसे, आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है, इस स्थिति में अगर आप कहेंगे, ‘मेरा जीवन कभी भी उस तरह नहीं होगा जैसा वह हुआ करता था या यह मेरे लिए अंत की शुरुआत है।’ यह विचार संभवत: आपको बुरा महसूस कराएगा, और यह आपके शरीर को कमजोर बना देगा। इसकी जगह अगर कहें, ‘यह मेरे लिए एक झटका है, पर मैं इससे उबर सकता हूं , यदि मैं खुद को समय दूं।’ यह विचार आपको बेहतर महसूस करा सकता है। 


वर्तमान में रहना- 
ज्यादातर लोग पुरानी बातों या गलतियों के कारण नकारात्मक सोच का शिकार होते हैं। ‘जो बीत गया, सो बीत गया’ जिस दिन आप यह समझ लेंगे, आपका अतीत आपको नुकसान नहीं पहुंचाएगा। पुरानी बातों को छोड़, आप वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करें और कुछ गहरी सांसें लें और फिर आगे बढ़ें। जो बातें आपको निराशा की ओर ले जाएं, उस पर ध्यान न दें। 


तुलना अशांति देती है-
एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग लगातार सामाजिक तुलना करते हैं, वे अपनी नौकरियों से कम संतुष्ट होते हैं। लेकिन वहीं जब आप अपनी ईष्र्या को स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की दिशा में मोड़ते हैं, तो बेहतर प्रदर्शन करने लगते हैं। जैसे कि कोई छात्र, क्लास में किसी और बच्चे से ईष्र्या करके पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन करने लगता है। किसी की मदद करना भी नकारात्मक विचारों को दूर करेगा। इससे आत्मसम्मान बढ़ता है।