ईद-उल-फितर भूख-प्यास सहन कर एक महीने तक सिर्फ खुदा को याद करने वाले रोजेदारों को अल्लाह का इनाम है। इस त्योहार पर खुशी से दमकते चेहरे इंसानियत का पैगाम देते हैं। यह उत्साह बयान करता है कि लो ईद आ गई।
ईद मोहब्बत और इंसानियत का पैगाम देता है। रमजान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना है। इस पूरे माह में रोजे रखे जाते हैं। इस महीने के खत्म होते ही 10वां माह शव्वाल शुरू होता है। इस माह की पहली चांद रात ईद की चांद रात होती है। इस रात का इंतजार सालभर खास वजह से होता है, क्योंकि इस रात को दिखने वाले चांद से ही ईद-उल-फितर का ऐलान होता है। ईद-उल-फितर एक रूहानी महीने में कड़ी आजमाइश के बाद रोजेदार को अल्लाह की तरफ से मिलने वाला रूहानी इनाम है। दुनियाभर में चांद देखकर रोजा रखने और चांद देखकर ईद मनाने की पुरानी परंपरा है। आज भी यह रिवाज कायम है। रमजान में हर सक्षम मुसलमान को अपनी कुल संपत्ति के ढाई प्रतिशत हिस्से के बराबर की रकम निकालकर गरीबों में बांटना होता है। इससे समाज के प्रति उसकी जिम्मेदारी का निर्वहन होता है, साथ ही गरीब रोजेदार भी अल्लाह के इनामरूपी त्योहार को मना पाते हैं।