उन्नाव। उन्नाव के डौडियाखेड़ा में एक हजार टन सोना दबा होने का दावा कर देश-दुनिया का ध्यान आकर्षित करने वाले कानपुर देहात के शिवली क्षेत्र के शोभन गांव के महंत विरक्तानंद जी महाराज (शोभन सरकार) बुधवार को ब्रह्मलीन हो गए। उन्होंने तड़के 5 बजे आश्रम स्थित आरोग्य धाम अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके गोलोकवासी होने की खबर फैलते ही आसपास जिलों के हजारों लोग उनके अंतिम दर्शन को उमड़ पड़े। महंत की अंतिम यात्रा में पीछे चल रहे वाहनों और भीड़ को रोकने के लिए चौबेपुर पुलिस ने हलका बल प्रयोग करना पड़ा। दोपहर को गंगा के बंदी माता घाट पर उन्हें जलसमाधि दी गई।
सोने का भंडार होने का देखा था सपना :
शोभन सरकार ने 2013 में उन्नाव के डौंडियाखेड़ा गांव में राजा राव रामवख्श के खंडहर हो चुके महल में सोने का भंडार होने का सपना देखा। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों ने महल पर कब्जा कर राजा राव रामबख्श को फांसी दे दी थी। शोभन सरकार ने प्रदेश सरकार को जानकारी दी थी इस महल के भूगर्भ में हजारों टन सोना दबा है। इसके बाद एएसआइ ने 18 अक्तूबर को खंडहर महल में खुदाई शुरू कराई। जियोलॉजिकल ऑफ इंडिया ने एएसआइ को 29 अक्तूबर को रिपोर्ट दी थी, जिसमें उसने कहा था कि महल के नीचे सोना, चांदी या अन्य धातु दबी हो सकती है। करीब एक महीने तक चली खुदाई का काम 19 नवंबर 2013 को पूरा हुआ। इस काम में प्रदेश सरकार के 2 लाख 78751 रुपए खर्च हो गए लेकिन सोना का भंडार न मिलने पर खुदाई रोक दी गई।
एएसआइ को सोना नहीं पर अहम तथ्य जरूर मिले
डौंडियाखेड़ा के महल में हुई खोदाई में सोना तो नहीं मिला, पर एएसआई को उससे भी बड़ा खजाना मिला है। खुदाई में निकले अवशेषों से ऐसे प्रमाण मिले हैं कि वहां का इतिहास तीन हजार साल पुराना हैं, जो एएसआइ के लिए काफी अहम रहे। इससे पहले तक डौंडियाखेड़ा का इतिहास 7वीं सदी तक का ही माना जा रहा था। एएसआइ के पहले महानिदेशक ने 1860 में प्रमाण जुटाए थे कि चीनी यात्री ह्वेनसांग ने सातवीं सदी में डौंडिया खेड़ा का भ्रमण किया था। उसने लिखा था कि डौंडिया खेड़ा में बौद्ध धर्म मानने वाले लोग उसे मिले थे। एएसआी ने जब डौंडियाखेड़ा में राजा राव रामबख्श के महल की खुदाई की तो वहां मिले अवशेषों से प्राथमिक स्तर पर इस निष्कर्ष पर पहुंचा गया कि वहां का इतिहास 2 हजार साल पुराना है। खुदाई में चमकीले मृदभांड, लाल बर्तन, हड्डी की नुकीली वस्तुएं, जानवरों की हड्डियां, सुपारी के आकार के पत्थर व लोहे की कीलें मिली थीं। इसके आधार पर एएसआई की उत्खनन एवं अन्वेक्षण शाखा ने अवशेषों के अध्ययन से खुलासा किया कि था कि डौंडिया खेड़ा का इतिहास 3 हजार साल पुराना है। अंग्रेजों ने कर लिया था राजा रामबख्श के महल पर कब्जा।
अपने बंगले की तरह बक्सर को सजाओ बाबू
बताते हैं कि तत्कालीन डीएम अनीता चटर्जी व सीडीओ ओएन सिंह से उन्होंने कहा था कि जैसे अपना बंगला सजाते हो वैसे ही हमारे बक्सर को सजाओ बाबू। बक्सर प्रधान मुन्ना सिंह बताते हैं कि उनके यह बोल हमेशा याद रहेंगे। यह सुनकर अफसरों ने तत्कालीन सरकार से चल रही एक योजना काम के बदले अनाज के तहत मेला स्थान का समतलीकरण व बक्सर घाट का निर्माण भी करा दिया था।