11 मई 2020 दिन सोमवार को देवगुरू बृहस्पति नीच राशि मकर में वक्री हो जाएंगे। यहां से बृहस्पति स्वगृहाभिलाषी होंगे। अतः शुभफल में वृद्धि करने वाले होंगे। उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक ज्योतिर्विद एवं वास्तुविद पं दिवाकर त्रिपाठी ने बताया कि मकर राशि में शनिदेव भी स्वगृही गोचर कर रहे हैे। 10 मई को शनिदेव भी वक्री हो जाएंगे। ऐसे में मकर राशि मे शनि एवं गुरु वक्री गोचर करेंगे। जो शुभफल दायक स्थिति नही है। शनि न्यायाधीश है। न्यायाधीश का वक्री होना उनके सभी कारकत्वों में वक्री परिणाम प्राप्त होंगे।
ज्योतिर्विद एवं वास्तुविद पं दिवाकर त्रिपाठी ने बताया कि बृहस्पति का वक्री होने से उसके सभी कारकत्वों में वक्रत्व आ जाएगी, परंतु बृहस्पति अपनी नीच राशि मे जाकर वक्री होंगे फलतः पूर्णतः नकारात्मक नहीे होंगे। फिर भी शनि से पीड़ित अवश्य होंगे। इस कारण धार्मिक उन्माद, वायरस जनित रोगों में वृद्धि, तनाव की स्थिति होगी। क्योंकि अध्ययनों पर आकलन किया जाए तो जब- जब गुरु पीड़ित होगें तब तब इस तरह की स्थितियां उत्पन्न होती हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष नवमी 29 जून 2020 दिन सोमवार को दिन में 10:10 बजे धनु राशि में स्वगृही हो जाएंगे। देवगुरू वक्री गति से ही धनु राशि मे प्रवेश कर हो जाएंगे स्वगृही। जहां पुनः केतु के साथ गोचरीय संचरण करेंगे। राहु से दृष्ट होंगे गुरु चाण्डाल योग का निर्माण हो जाएगा। यह वही स्थिति है जब 4 नवम्बर 2019 को गुरु केतु के साथ धनु राशि मे गोचर प्रारम्भ किए थे उसके बाद ही चीन में कोरोना नामक वायरस का प्रकोप शुरू हुआ। ज्योतिर्विद ने यह भी बताया कि इस प्रकार हम सबको चौकन्ना रहना होगा और यह वायरस पुनः अपना विस्तार कर सकता है। अतः विशेषकर 11 मई से 24 सितम्बर 2020 तक भूकंप,साम्प्रदायिक तनाव,सुनामी सहित अनेकों प्रकार के प्राकृतिक आपदा की भी संभावना दिख रही है।
ज्योतिर्विद के अनुसार शुद्ध अश्विन कृष्ण पक्ष दशमी 12 सितम्बर 2020 दिन शनिवार को धनु राशि मे ही मार्गी हो जाएंगे। फिर भी राहु से दृष्ट रहेंगे अतः परिणाम शुभदायक नही दिख रहा है। यद्यपि यह स्थिति बहुत दिन नहीं रहेगी क्योंकि 24 सितम्बर 2020 दिन गुरुवार को राहु का गोचरीय परिवर्तन शुक्र की राशि वृष में और केतु का परिवर्तन मंगल की राशि वृश्चिक में हो जाएगा। तब देवगुरू धनु राशि में स्वगृही शुभकारक स्थिति में गोचर करेंगे।
पुनः 19 नवम्बर 2020 दिन गुरुवार के दिन बृहस्पति दिन में 10:40 बजे मकर राशि मे प्रवेश करेंगे जहां पर स्वगृही शनि के साथ लगभग 13 माह तक गोचरीय संचरण प्रारम्भ करेंगे। यहाँ भी गुरु नीच के होंगे और शनि से पीड़ित भी अतः पुनः समाज ,देश ,धर्म, शिक्षा व्यवस्था , तनाव की स्थितियां उत्पन्न हो सकती है। साथ ही वायरस जन्य बीमारी या अचानक बड़ी त्रासदी परेशान कर सकती है।