इन दिनों कोरोना वायरस को लेकर कई तरह के मिथक प्रचलित हो रहे हैं। इन्हें लेकर आम लोगों में काफी भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है। क्या है, इन मिथकों की सच्चाई, इस बारे में आपको बता रहा है ‘हिन्दुस्तान-
गांंवों में मास्क या सैनेटाइजर की जरूरत नहीं है?
सरकार या स्वास्थ्य एजेंसियों ने ऐसी कोई गाइडलाइन जारी नहीं की है। संक्रमण से बचने को डब्ल्यूएचओ और स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का पालन हर जगह होना चाहिए। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक किसी गांव में बाहरी लोगों का प्रवेश नहीं होता, वह सुरक्षित है। लेकिन कोई संक्रमित व्यक्ति यह वायरस लेकर गांव में आ जाए, तो फिर खतरा हो सकता है। ऐसे में हर समय सावधानी रखना जरूरी है।
गले को तर रखने से नहीं होता कोरोना?
इस दावे का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। पानी पीना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है, लेकिन न तो डब्ल्यूएचओ और न ही किसी अन्य सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसी ने ऐसी सलाह जारी की है कि सूखा गला किसी व्यक्ति को वायरस संक्रमण के प्रति अधिक कमजोर बना सकता है।
थर्मल स्कैनर संक्रमण का चलता है पता
नहीं, यह बात सही नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि थर्मल स्कैनर शरीर के तापमान को माप कर बुखार का पता लगा सकता है, लेकिन किसी को कोरोना संक्रमण है या नहीं, इसका पता नहीं लगा सकता, क्योंकि कई बार कोरोना संक्रमित व्यक्ति को संक्रमण के बाद बुखार आने में 2 से 10 दिन तक लग जाते हैं।