प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज के क्वारंटाइन सेंटरों की बदतर हालत और कोरोना पॉजिटिव मरीजों को बेहतर इलाज देने के मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से जानकारी मांगी है। मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर एवं न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने मुख्य स्थायी अधिवक्ता से इस मामले में 11 मई तक जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है।
हाईकोर्ट के अधिवक्ता गौरव कुमार गौर ने मुख्य न्यायमूर्ति को ई-मेल से पत्र भेजकर प्रयागराज के क्वारंटाइन सेंटरों की खराब दशा का हवाला दिया। उन्होंने लिखा कि लूकरगंज निवासी इंजीनियर की कोरोना से मौत हो गई है। उनकी पत्नी भी कोरोना पॉजिटिव हैं।
पत्नी ने उन्हें बताया कि उनके परिवार के सदस्यों को जिस क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया है, वहां की हालत काफी खराब है। सेंटर में पर्याप्त सफाई और अन्य सुविधाओं का अभाव है। पत्र में इसका एक वीडियो वायरल होने की जानकारी भी उन्होंने दी। गौरव गौर का यह भी कहना है कि इंजीनियर की पत्नी ने उन्हें बताया कि उनके पति का सही तरीके से इलाज नहीं किया गया। मामले पर अगली सुनवाई 11 मई को होगी।
निलंबन से पूर्व सुनवाई का अवसर देना जरूरी नहीं
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि प्रबंध समिति ने किसी अध्यापक या स्टाफ को निलंबित कर उसके कागजात डीआईओएस के पास अनुमोदन के लिए भेजता है तो निलंबन के अनुमोदन या इनकार के आदेश देने से पूर्व प्रबंधक को सुनवाई का अवसर देना जरूरी नहीं है। यदि निलंबित अध्यापक ने डीआईओएस के समक्ष आपत्ति की है तो प्रबंधक को सुनवाई का अवसर दिया जाना जरूरी है। डीआईओएस को अपने आदेश में कारण भी स्पष्ट करना होगा।
कोर्ट ने जनता इंटर कॉलेज अहमदपुर ब्राह्मण सहारनपुर के कार्यकारी प्रधानाचार्य राममित्र मिश्र का अनुशासनहीनता के आरोप में निलंबन का अनुमोदन न करने के डीआईओएस के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। साथ ही प्रबंधन को प्रधानाचार्य के खिलाफ विभागीय जांच दो माह में पूरी करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी ने कॉलेज की प्रबंध समिति की याचिका पर दिया है।