जानें क्‍या होता है फॉल्‍स फ्लैग ऑपरेशन जिसको लेकर भारत से डरा हुआ है पाकिस्‍तान

दुनिया के इतिहास में फॉल्‍स फ्लैग ऑपरेशन के कई उदाहरण मौजूद हैं। ये ऑपरेशन खुफिया तो होते ही हैं लेकिन इनका भेद खुलने पर सरकार इससे मुंह मोड़ लेती है। यही इसकी परिभाषा भी है।



नई दिल्‍ली। कश्‍मीर में हिजबुल मुजाहिद्दीन के मुखिया ने और आंतकी रियाज नायकू के मारे जाने की सफलता के बाद पाकिस्‍तान में मौजूद इन आतंकी संगठनों के हाथ पांव फूलने लगे हैं। इसका एक सबूत हिजबुल चीफ सैयद सलाहुद्दीन का वो भाषण है जो उसने हाल ही में रावलपिंडी में नायकू को लेकर की गई शोक सभा में दिया था। इसमें उसने उत्तर कश्मीर के रजवार जंगल में सेना के जवानों पर किए हमले की जिम्‍मेदारी ली थी। अब जबकि नायकू को मारकर सेना को बड़ी कामयाबी हाथ लग चुकी है तो पाकिस्‍तान को इस बात का डर सता रहा है कि भारत उसके खिलाफ कोई फॉल्‍स फ्लैग ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है।


दरअसल, पाकिस्‍तान को लगने लगा है कि भारत कश्‍मीर में आतंकियों की कमर तोड़ने के साथ पाकिस्‍तान में बैठे उनके आकाओं और वहां पर मौजूद आतंकी कैंपों को भी खत्‍म करने के लिए कोई ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है। आपको बता दें कि उरी हमले के बाद भारत ने पाकिस्‍तान की सीमा में घुसकर सर्जिकल स्‍ट्राइक को अंजाम दिया था। पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद भी भारत ने पाकिस्‍तान में एयर स्‍ट्राइक कर कई आतंकी ठिकानों को नष्‍ट किया था। जहां तक उत्‍तरी कश्‍मीर में सेना पर हुए हमले की बात है तो आपको यहां पर ये भी बता दें कि काफी समय के बाद कश्‍मीर में किसी कर्नल रैंक के अंधिकारी की मौत इस तरह के हमलों में हुई है।


आपको बता दें कि फॉल्‍स फ्लैग ऑपरेशन उसे कहा जाता है, जहां पर किसी भी ऑपरेशन को अंजाम देने वाले की पहचान को पूरी तरह से छिपाया जाता है। इतना ही नहीं, इस तरह के ऑपरेशन को अंजाम देने वाला यदि पकड़ा जाता है तो उसमें अपनी भूमिका से पूरी तरह से मुंह फेर लिया जाता है। इस तरह के ऑपरेशन को अंजाम देने वालों को इस बात की पूरी जानकारी होती है कि यदि वे पकड़े गए तो सरकार उन्‍हें किसी तरह से भी स्‍वीकार नहीं करेगी। इस तरह के ऑपरेशन को कवर्ट ऑपरेशन भी कहा जाता है।


अमेरिका में इस तरह के ऑपरेशन को नेशनल सिक्‍योरिटी एक्‍ट 1947 के तहत लाया गया है। 1984 में तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति रोनाल्‍ड रीगन ने इस तरह के ऑपरेशन को स्‍पेशल एक्टिविटी कहते हुए एक आदेश पर हस्‍ताक्षर किए थे। अमेरिका में सीआईए इस तरह के ऑपरेशंस को राष्‍ट्रपति के आदेश पर अंजाम देती है। वहीं, अंडरकवर ऑपरेशन को लॉ इंफोर्समेंट एजेंसियां अंजाम देती हैं।


कवर्ट और क्‍लेंडस्‍टाइन ऑपरेशन में बेहद छोटा-सा अंतर है। clandestine क्‍लेंडस्‍टाइन कर अर्थ जहां छिपाना या Hidden होता है वहीं covert का अर्थ deniable या मुकरना होता है। इस तरह के ऑपरेशन के इतिहास में कई उदाहरण भी हैं। इनमें से एक Black operations भी है। 2007 में एनबीसी न्‍यूज और फिर डेली टेलीग्राफ के मुताबिक, अमेरिकी राष्‍ट्रपति जॉर्ज बुश ने सीआईए को ईरान में सत्‍ता परिवर्तन के लिए ब्‍लैक ऑपरेशन चलाने का आदेश दिया था। इसका मकसद ईरान के परमाणु कार्यक्रम को खत्‍म करना था।