झाझा (जमुई)। एक तो रेलवे पैसेंजर्स ने भूल की उपर से रेलवे कर्मचारी भी लापरवाह बने रहे, रेलवे पैसेंजर्स को जाना था कटिहार और वे पहुंच गए जसीडीह। दरअसल ये पूरा वाकया शुरू होता है मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन से।
मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन से दक्षिण भारत को खाली जाने वाली ट्रेन की एक रैक में कटिहार के कई मुसाफिर सवार हो गए। ट्रेन में सवार पैसेंजर्स को अपनी गलती का एहसास ट्रेन के झाझा और जसीडीह पहुंच जाने के बाद लगी। वहीं झाझा स्टेशन पर ही रेलवे के कुछ लोगों के इस भूल का पता तब चला जब ट्रेन पर सवार कई मुसाफिर झाझा स्टेशन पर ट्रेन की बंद खिड़कियों को जोर-जोर से ठोक कर अपनी पीड़ा-परेशानी की बात बताई और इसे स्टेशन पर मौजूद रेल पुलिस तक पहुंचाने की गुजारिश की। लेकिन जब तक झाझा स्टेशन पर पुलिसकर्मी उनकी कोशिशों पर संज्ञान लेते और स्टेशन कर्मियों तक सूचना पहुंचा पाते तब तक ट्रेन झाझा से भी जसीडीह के लिए रवाना हो चुकी थी। बाद में ट्रेन के जसीडीह पहुंचने पर मुसाफिरों ने वहां हंगामा किया तो भेद खुला कि कटिहार जाने वाले मुसाफिरों की एक बड़ी तादाद उस ट्रेन पर सवार थी जिस ट्रेन को खाली हाल में वापस दक्षिण भारत स्थित अपने गंतव्य को लौटना था।
बताया जाता है कि ऐसा मुजफ्फरपुर स्टेशन पर दो ट्रेनों के एक साथ लगी होने की वजह से हुआ। एक ट्रेन को वहां से कटिहार को जाना था जबकि दूसरी को खाली हाल में अपने गंतव्य को लौटना था। ऐसे में कटिहार वाले मुसाफिर किसी चूक वश अपनी ट्रेन की बजाय उक्त खाली लौटने वाली रैक पर सवार हो गए थे। और चूंकि खाली लौटने वाली रैक के एकाध दरवाजे को छोड़ बाकी सभी बोगियों के दरवाजे व खिड़कियां बंद रहती हैं ऐसे में इनके सवार होने की बात ट्रेन के मुजफ्फरपुर से झाझा व जसीडीह पहुंच जाने तक किसी को पता नहीं चल पाई।
बहरहाल बाद में आसनसोल रेल डिवीजन द्वारा उक्त ट्रेन को वापस बरौनी की ओर लौटाए जाने का निर्णय लिया गया। पर उसके इस फैसले पर झाझा के रेलकर्मी अमल करने को तैयार नहीं हुए थे। अंतत: दानापुर के डीआरएम द्वारा इसकी अनुमति दिए जाने पर करीब चार घंटे बाद झाझा ने ट्रेन को वापस लेते हुए आगे बरौनी की ओर रवाना कर दिया था।