हर प्रकार के ऋण से मुक्त दिलाता है यह व्रत


मंगलवार के दिन अगर प्रदोष तिथि का योग बनता है, तब यह व्रत भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस व्रत में भगवान शिव और हनुमान जी दोनों की आराधना की जाती है। यह व्रत धर्म और मोक्ष से जोड़ने वाला है। साथ ही अर्थ, काम के बंधनों से मुक्त करने वाला भी है। इस व्रत में भगवान शिव की आराधना से हर प्रकार के ऋणों से मुक्ति प्राप्त होती है।


यह भी मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से गोदान के समान पुण्य फल प्राप्त होता है। इस व्रत से रोगों से मुक्ति मिलती है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। सूर्यास्त से लेकर रात्रि आरंभ तक की मध्य की अवधि को प्रदोष काल में लिया जा सकता है। इस व्रत में पूरे दिन उपावस रखने के बाद सूर्यास्त से एक घंटा पहले स्नान कर श्वेत वस्त्र धारण किए जाते हैं। प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा से अमोघ फल की प्राप्ति होती है। शाम को हनुमान जी के सामने चमेली के तेल का दीपक जलाएं। सुंदरकांड का पाठ करें। मंगल ग्रह का ही एक अन्य नाम भौम है। कर्ज संबंधी परेशानी दूर करने के लिए भौम प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। इस व्रत में शाम के समय हनुमान चालीसा का पाठ करें।


इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।