ज्योतिष में विशेष रूप से मंगल को खेलों या स्पोर्ट्स का कारक मना गया है। खेलों में सफलता के लिए व्यक्ति का शारीरिक गठन, मांसपेशियां, फिटनेस, कार्य और पुरुषार्थ-क्षमता बहुत अच्छी होनी चाहिए। हिम्मत, शक्ति, पराक्रम, निर्भयता और प्रतिस्पर्धा का सामना करना एक अच्छे खिलाडी के गुण होते हैं और इन सभी का नियंत्रक ग्रह मंगल होता है इसलिए स्पोर्ट्स में जाने के लिए हमारी कुंडली में मंगल का अच्छी स्थिति में होना बहुत आवश्यक है। कुंडली का तीसरा भाव भी शारीरिक मेहनत, भागदौड़, पराक्रम और निडरता का कारक होने से खिलाडियों की कुंडली में इस भाव बहुत महत्त्व होता है। खेलो में प्रतिस्पर्धा के जरिए ही खिलाडी आगे बढ़ते हैं, इसलिए कुंडली का छटा भाव भी अपनी विशेष भूमिका निभाता है।
स्पोर्ट्स में सफलता के ये योग हैं खास
- यदि मंगल बलि होकर कुंडली के दशम भाव में बैठा हो या दशम भाव पर मंगल की दृष्टि हो तो स्पोर्ट्स में सफलता मिलती है।
- यदि मंगल स्व या उच्च राशि (मेष, वृश्चिक, मकर) में होकर केंद्र (1,4,7,10) त्रिकोण (1,5,9) आदि शुभ भाव में बैठा हो तो तो स्पोर्ट्स में अच्छी सफलता दिलाता है।
- यदि मंगल, शनि से पांचवे या नौवें भाव में बलि होकर बैठा हो तो भी स्पोर्ट्स में सफलता मिलती है।
- तीसरे भाव के स्वामी का तीसरे भाव में ही बैठना या तीसरे भाव को देखना भी स्पोर्ट्स में जाने के लिए सहायक होता है।
- षष्टेश का छठे भाव में बैठना या छठे भाव को देखना भी एक खिलाडी के लिए सहायक होता है।
- कुंडली के तीसरे भाव में क्रूर ग्रहों ( राहु, केतु, शनि, मंगल, सूर्य) का होना एक खिलाडी का पराक्रम बढ़ाकर उसे प्रतिस्पर्धा में आगे रखता है।
- यदि तृतीयेश दसवें भाव में हो और मंगल ठीक स्थिति में हो तो भी खेलों में सफलता मिलती है।
- पंचमहापुरुष योगों में से रूचक-योग का कुंडली में बनना स्पोर्ट्स में सफलता दिलाता है।
(ये जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)