लखनऊ। मलिहाबाद, माल और रहीमाबाद में बिजली आपूर्ति ठीक ना होने से बागों की सिंचाई में दिक्कत संग मजदूरों की घर वापसी के कारण बागों में सन्नाटा पसरा हुआ है। मैंगोमैन के नाम से दुनिया में मशहूर पद्मश्री कलीम उल्ला खां ने बताया कि कोरोना की मार से आम जन से लेकर आम भी परेशान हैं। उन्होंने बताया कि हम तीन भाइयों के पास 20 एकड़ में फैला आम का बाग है लेकिन लॉकडाउन के कारण ना तो बागों में मजदूर जा पा रहे ना ही सिंचाई और दवाई का काम हो पा रहा है। ऐसे में इस सीज़न में विदेशों में निर्यात करने की बात दूर बाग से बाज़ार आम पहुंचना भी चुनौती का काम है।
यह हाल मलिहाबाद मैंगो बेल्ट का नहीं बल्कि यूपी की सभी मैंगो बेल्ट पर भी कोरोना का काला साया मंडरा रहा है। मैंगो ग्रोवर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष इंसराम अली बताते हैं, उत्तर प्रदेश में 15 मैंगो बेल्ट हैं, जिसमें सहारनपुर, बुलंदशहर, मेरठ, हरदोई, उन्नाव, बाराबंकी, मलिहाबाद समेत अन्य शामिल हैं। इनसे 45 लाख टन आम का उत्पादन होता है। इस बार इन सभी मैंगो बेल्ट में उत्पादन और कारोबार पर कोरोना का साया मंडरा रहा है। उन्होंने बताया कि अकेले मलीहाबाद में 25 हजार हेक्टेयर में 6 लाख टन आम का उत्पादन होता है। एक जून से 20 जुलाई तक आम का सीजन चलेगा, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से इस बार हालात अलग हैं।
गन्ने और गेहूं की तरह आम का करें मूल्य निर्धारण
इंसराम ने बताया कि मलिहाबाद माल और रहीमाबाद के आम कारोबारियों की ओर से मैंने ट्विटर पर बिजली विभाग से बिजली की सप्लाई नियमित तौर पर न करने की शिकायत की है क्यूंकि बिजली ना आने से बागों में सिंचाई नहीं हो पा रही है। इस बार सरकार को बाग से बाज़ार आम पहुंचाने की व्यवस्था को सुनिश्चित करना होगा नहीं तो आम बाग में ही सड़ जाएगा। सरकार ने जिस तरह गन्ने और गेहूं का मूल्य तय किया है ठीक उसी तरह आम का भी दाम तय करने चाहिए।
भंडारण कहां करें जब फैक्ट्री बन्द
आम व्यापारी विजय सिंह कहते हैं कि कैरेट बनाने वाली फैक्ट्रियों पर ताले हैं ऐसे में भंडारण की चिंता भी सता रही है। अगर भंडारण नहीं किया तो मांग को पूर्ति करने में मुश्किल होगी।