नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस पर फिर से देश के नाम वीडियो संदेश जारी किया। उन्होंने लॉकडाउन का सख्ती से पालन करने की लोगों से अपील भी की। प्रधानमंत्री ने 5 अप्रैल को सभी भारतवासियों से कोरोना के संकट को अंधकार से चुनौती देने के लिए कहा। जिसके लिए उन्होंने अपील की 5 अप्रैल को रात 9 बजे 130 करोड़ देशवासी 9 मिनट के लिए अपने घर की सभी लाइट बंद करके बालकनी या दरवाजे में खड़े होकर दीपक, मोमबत्ती, टॉर्च या अपने फोन की फ्लैश लाइट जलाएं। जानिए ज्योतिष अनुसार दीपक जलाने के क्या हैं फायदे?
शुभ फलदायी बता रहे ज्योतिषशास्त्री...
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ज्योतिष के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. चंद्रमौलि उपाध्याय कहते हैं कि पांच अप्रैल 2020 को रात्रिकाल अर्थात रात्रि नौ बजे पूर्वा फाल्गुनि नक्षत्र है, जिससे सिंह राशि बनती है। जिसका अधिपति सूर्य है। सूर्य परमेश्वर की ज्योति का प्रतिनिधित्व करते हैं। लोक में अंधकार से प्रकाश की स्थापना करते हैं।
अग्नि के पांच रूप होते हैं। (1) ब्राह्म, (2) प्राजापत्य, (3)
गार्हस्थ्य, (4) दक्षिणाग्नि और (5) क्रव्यादाग्नि, जिसमें पहले का अरणिमंथन के द्वारा उत्पत्ति होती है। द्वितीय का ब्रह्मïचारी को अग्निहोत्र के उपनयन के समय प्राप्त होता है। तृतीय का विवाहोपरांत कुल में प्रतिष्ठित होकर शुभकर्मों में इसका प्रयोग होता है। चतुर्थ का उपयोग चिताग्नि के रूप में होता है। पंचम का उपयोग बाह्य उपद्रव के शमन अर्थात राक्षस, बाह्यबाधा, अदृश्य शक्तियों के उपद्रव का विनाश और अवरोध हो इसके लिए किया जाता है। वैज्ञानिक वास्तु शास्त्री संजीव गुप्त कहते हैं कि मोमबत्ती और मोबाइल की लाइट का प्रयोग भी किया जा सकता है किंतु यह ज्योतिष की द्रष्टि से उतना कारगर उपाय नही है।
अंक विद्या का भी अदभुत संयोग...
अंक विद्या के द्वारा 9 संख्या पांच अप्रैल 2020 को आ रही है। रात्रि नौ बजे नौ मिनट का समय निर्धारण कार्य की पूर्णता और शुभता का प्रतीक है। क्योंकि 9 संख्या को पूर्ण संख्या माना जाता है। संयोग भी कह सकते हैं कि 3 अप्रैल को सुबह 9 बजे प्रधानमंत्री ने देश का आह्वान किया। प्रधानमंत्री का संबोधन भी हुआ मात्र 9 मिनट। संबोधन की तारीख 3. 4. 20 (3+4+2+0)=9 । 5 अप्रैल का दिन यानी (5 + 4) का योग हुआ 9। समय रात 9 बजकर 9 मिनट। वस्तुत: 9 का अंक अविभाज्य होता है। 9 में कितनी भी बार 9 जोड़ें फलांकों का योग 9 ही होगा।
आत्मबल का प्रतीक है दीया...:
उत्साहो बलवानार्य नास्त्युत्साहात्परं बलम्।
सोत्साहस्य हि लोकेषु न किंचिदपि दुलर्भम्।।
उत्साह बड़ा बलवान होता है, उत्साह से बढ़कर कोई बल नहीं होता है। उत्साही पुरुष के लिए संसार में कुछ भी दुर्लभ नहीं है। वाल्मीकि रामायण के किष्किंधा कांड का यह श्लोक भी दीपक प्रज्वलन परंपरा के मूल में है। डीजी कॉलेज की संस्कृत विभाग की एचओडी प्रो. नीलम त्रिवेदी कहती हैं, भारतीय परंपरा में दीप अति महत्वपूर्ण है। दीप ज्योति को श्रेष्ठ और विष्णु कहा गया है। इसे पापों को हरने वाला कहा गया है।