लखनऊ के केजीएमयू में प्लाज्मा थेेरेपी से होगा कोरोना संक्रमितों का इलाज

केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन व ब्लड ट्रांसफ्यूजन विभाग ने की पहल प्लाज्मा थेेरेपी से होगा कोरोना का इलाज। 



लखनऊ । कोविड-19 से लड़ाई जीत चुके मरीज अब गंभीर संक्रमितों की जिंदगी बचा सकेंगे। इनका प्लाज्मा मौत से जूझ रहे रोगियों के लिए वरदान बनेगा। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), लखनऊ जल्द ही प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना का इलाज शुरू करेगा। ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने संस्थान को अनुमति प्रदान कर दी है। केजीएमयू को कोरोना मरीजों के इलाज का स्टेट नोडल सेंटर बनाया गया है। यहां राज्य में सबसे अधिक मरीजों के कोरोना टेस्ट हुए हैं। वहीं, कई पॉजिटिव मरीज ठीक होकर जा भी चुके हैं।


दुनिया के प्रमुख देशों में कोरोना के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी विधि को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है। प्रदेश में सबसे पहले प्लाज्मा थेरेपी के लिए केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के साथ मिलकर प्रस्ताव भेजा था।


इसके बाद अमेरिका में प्लाज्मा थेरेपी से इलाज की पहल हुई जो दुनियाभर में सुर्खियां बनी। लिहाजा, इंडियन कांउसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने भी देश के चिकित्सा संस्थानों को कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी की अनुमति दे दी है। इसके लिए संस्थानों को ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया से अनुमति लेनी होगी। ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष डॉ. तूलिका चंद्रा के मुताबिक, केजीएमयू को प्लाज्मा थेरेपी से इलाज की मंजूरी मिल गई है। शनिवार को ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया का पत्र प्राप्त हो गया है।


ठीक हो चुके मरीजों में बन चुकी है एंटीबॉडी


कोरोना क्रिटिकल केयर मैनेजमेंट टीम के सदस्य डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक, कोविड-19 बीमारी सार्स-कोव टू वायरस से हो रही है। कोविड-19 से काफी मरीज ठीक हो रहे हैं। ऐसे में बीमारी से उबर चुके लोगों के शरीर में सार्स कोव-टू वायरस के प्रति एंटीबॉडी बन गई है। लिहाजा, इनका प्लाज्मा चढ़ाकर गंभीर मरीजों की जान बचाना आसान होगा। इसके लिए सर्वाइवर से प्लाज्मा डोनेट करने की अपील की जाएगी। इसे ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में स्टोर कर लिया जाएगा। गंभीर मरीज आने पर परिवारीजन की सहमति से यह चढ़ाया जा सकेगा। इसे कनवेलिसेंट प्लाज्मा कहते हैं। डॉ. तूलिका के मुताबिक, ठीक हो चुके मरीजों से संपर्क किया जा रहा है।


ये दे सकेंगे प्लाज्मा


कोरोना संक्रमण से मुक्त हो चुके मरीज, जिनमें सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त लैब से वायरस की पुष्टि हुई हो। -मरीज को संक्रमण से मुक्त हुए 14 दिन बीत चुके हों। -बीमारी से मुक्त हो चुकीं महिला मरीजों में एचएलए निगेटिव हो -मरीज में नाक-गले के स्वैब की रिपोर्ट दो बार निगेटिव हो।


कोरोना के इन मरीजों में चढ़ेगा प्लाज्मा



  • जिनकी जान को खतरा हो।

  • रेस्परेटरी रेट प्रति मिनट 30 से ज्यादा हो।

  • ब्लड में ऑक्सीजन की मात्रा 93 फीसद से कम हो गई हो।

  • एक्सरे में फेफड़े में धब्बे 48 घंटे में 50 फीसद बढ़े गए हों।

  • रेस्परेटरी फेल्योर, सेप्टिक शॉक, मल्टी ऑर्गन फेल्योर मरीज।