क्वारंटाइन में रखे गए लोगों पर मोबाइल से नजर


नई दिल्ली। केंद्र सरकार का टेलीकॉम डिपार्टमेंट राज्यों के अंदर क्वारंटाइन में रखे गए लोगों पर मोबाइल नेटवर्क टावर डेटा के जरिए नजर रखने की सुविधा दे रहा है। इससे एक तरीके की जियो-फेंसिंग की जा सकती है। इसके साथ ही किसी क्षेत्र विशेष में लोगों को एसएमएस भेजकर सतर्क भी किया जा सकता है। कई राज्यों के अधिकारियों ने कहा है कि वे पहले से क्वारंटाइन किए गए लोगों पर मोबाइल नेटवर्क के जरिए नजर रख रहे हैं। केंद्र सरकार उन राज्यों के लिए भी जोर दे रही है जो अभी इस सुविधा का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। आइए आपको बताते हैं कि यह सिस्टम किस तरह काम करता है और किस तरह मंजूरी दी जाती है।


दूसरे टावर से कनेक्ट होते ही अलर्ट
पहली सर्विस के तहत, कोविड क्वारंटाइन अलर्ट सिस्टम नाम का मोबाइल डिवाइस सर्विलांस सिस्टम सेलफोन टावर (बेस ट्रांससीवर स्टेशन BTS) डेटा के जरिए किसी व्यक्ति की सही लोकेशन पता करता है। एक अधिकारी ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि क्वारंटाइन में रखा गया कोई शख्स जैसे ही किसी दूसरे इलाके में जाता है और उसका फोन किसी दूसरे BTS से कनेक्ट होता है तो एक अलर्ट आ जाता है। 


किसी व्यक्ति की निगरानी के लिए स्टेट अथॉरिटीज को उस व्यक्ति का फोन नंबर डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (DoT) को भेजना होता है। यदि एक फोन लंबे समय तक स्विच ऑफ हो जाए तो भी अलर्ट मिल जाता है।  


कानून में है प्रावधान
अधिकारी ने कहा, '16 अप्रैल तक हमने बिहार, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में 70,422 लोगों को ट्रैक किया है। इस सेवा के लिए राज्य के गृह सचिव की अनुमति लेनी होती है। इंडियन टेलीग्राफ एक्ट की धारा 5 (2), पब्लिक इमरजेंसी के तहत इसकी मंजूरी दी जाती है।' इस कानून के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा और किसी अपराध को रोकने के लिए टेलीफोन के जरिए ट्रेस करने की अनुमति का प्रावधान है। महामारी रोग कानून की धारा 188 के तहत के तहत क्वारंटाइन का उल्लंघन एक अपराध है। भारत ने कोरोना वायरस को स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करते हुए इस कानून को लागू किया है। 


सीमित इलाके में एसएमएस भेजकर किया जाता है सावधान
दूसरी सर्विस है कोविड-19 सावधान। इसे भी कुछ राज्य लागू कर चुके हैं। कोविड-19 सावधान के तहत किसी खास भौगोलिक इलाके में लोगों के मोबाइल पर एसएमएस भेजा जा सकता है। अधिकारी ने कहा कि इसके जरिए किसी बेहद सीमित इलाके में भी मैसेज भेज सकते हैं, जैसे एक टावर से जुड़े फोन पर ही। हॉटस्पॉट और कंटेनमेंट जोन के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है। उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गोवा सिक्कीम, हरियाणा, अरुणाचल प्रदेश, केरल, पंजाब और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में इस सेवा का उपयोग किया गया है।


अन्य राज्य भी इन सेवाओं का इस्तेमाल करें, इसके लिए पहले केंद्र सरकार ने नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (NDMA) के जरिए संदेश दिया। अब टेलीकॉम डिपार्टमेंट भी राज्यों को लेटर लिखने जा रहा है। अधिकारी ने यह भी बताया कि दोनों सेवा पूरी तरह फ्री है।