कोरोना वायरस महामारी तनाव और अवसाद जैसी समस्याओं को बढ़ावा दे रही है क्योंकि न तो इसका पूर्वानुमान लगाया जा सकता है और न ही इसे काबू किया जा सकता है।
कोरोना वायरस के तेज़ी से फैलते कहर की वजह से देशभर में लॉकडाउन है। हर किसी के लिए लॉकडाउन के दिन डर, घबराहट और बेचैनी से भरे हुए हैं। इस तरह का अहसास आम है, लेकिन ये आपके शरीर पर कई तरह से असर कर सकता है। अपका शरीर हमेशा तनाव भरी स्थितियों के लिए तैयार रहता है, हालांकि, हम जिस तरह का तनाव झेल रहे हैं, उसके लिए शरीर तैयार नहीं है।
कोरोना वायरस महामारी तनाव और अवसाद जैसी समस्याओं को बढ़ावा दे रही है, क्योंकि न तो इसका पूर्वानुमान लगाया जा सकता है और न ही इसे काबू किया जा सकता है। यही वजह है कि ज़्यादातर लोग इस वक्त तनाव से गुज़र रहे हैं।
तनाव और बेचैनी
तनाव एक साधारण स्थिति है जो एक व्यक्ति से एक समान दिन की गतिविधियों से ज़्यादा उम्मीद करती है। हालांकि, हमारे जीवन के खुशी के पलों में भी तनाव हो सकता है, लेकिन इस तरह के तनाव से शरीर पर कोई असर नहीं पड़ता। बेचैनी और डर एक जैसा है। आपको बेचैनी महसूस होती है, जब आपको डर लगता है। लॉकडाउन जैसी स्थिति में जब तनाव और बेचैनी मिल जाते हैं, तो शरीर के लिए इससे उबर पाना मुश्किल हो जाता है।
क्योंकि इस महामारी में ज़्यादातर लोगों को तनाव लंबे समय से हो रहा है, इसलिए शरीर पर इसका असर दिखना भी शुरू हो जाता है। शरीर अपने आपको बचाने के लिए सूजन और जलन पैदा करता है, जिसके कई साइड-इफेक्ट भी होते हैं।
तनाव का शरीर पर कैसा होती है असर?
सबसे पहले इस स्थिति से लड़ने के लिए कैमिकल का निवारण होता है, तो इससे शरीर में सूजन और जलन होती है। इस सूजन और जलन का असर त्वचा पर दिखने लगता है, जब आप लगातार गुजली महसूस करते हैं और यहां तक कि एक तरह का त्वचा रोग भी हो सकता है।
शरीर में बढ़ते कोर्टीसोल के स्तर की वजह से त्वचा में ऑयल की मात्रा बढ़ने लगती है और त्वचा संबंधी कई तरह की दिक्कतें आने लगती हैं। इसलिए, अगर इस समय आपको त्वचा पर अचानक एक्ने दिखने लगे, तो समझ जाइए कि ये स्ट्रेस की वजह से हो रहा है।
तनाव प्रजनन प्रणाली को प्रभावित करने के लिए भी जाना जाता है। इसी वजह से पीरियड्स में देर होती है या होते ही नहीं हैं। ये सभी लक्षण तब तक रहत हैं, जब तक आप तनाव में रहते हैं।
तनाव को दूर करने के तरीके ढूंढ़े
आपके लिए ज़रूरी है कि तनाव को दूर करने के लिए आप खुद तरीके ढूंढ़े। ऐसे में आपका सोशन होना बेहद ज़रूरी है। हम जानते हैं, कि आजकल सभी सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए मजबूर हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप अकेलेपन को अपना लें। अपने परिवार, रिश्तेदारों और दोस्तों से बातचीत करते रहें। जो महसूस कर रहे हैं उसे अपने करीबी लोगों से साझा करें, इससे आप तनाव और बेचैनी से बेहतर तरीके से लड़ पाएंगे।