कई मामलों में देखा गया जब मरीज़ों को तुंरत मेडिकल ट्रीटमेंट की ज़रूरत थी लेकिन उन्होंने कोरोना वायरस के डर से अस्पताल आने में काफी देर कर दी।
कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए दुनियाभर के ज़्यादातर देशों में लॉकडाउन की स्थिति है। ऐसे में अगर आपको गंभीर या किसी भी तरह की बीमारी की वजह से मेडिकल एमर्जेंसी की ज़रूरत पड़ती है, तो कोरोना वायरस से संक्रमित होने के डर से उसे नज़रअंदाज़ करने की ग़लती न करें।
पिछले दो-तीन हफ्तों में, ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जब मरीज़ों को तुंरत मेडिकल ट्रीटमेंट की ज़रूरत थी, लेकिन उन्होंने कोरोना वायरस के डर से अस्पताल आने में काफी देर कर दी। यहां तक कि एम्स, अपोलो जैसे बड़े अस्पताल के डॉक्टरों का भी मानना है कि कैसी ग़लती किसी को नहीं करनी चाहिए।
आप जितनी देर करते हैं, उतना ही आपकी हालत गंभीर होने की संभावना बढ़ती जाती है। उदाहरण के तौर पर, दिल की बीमारी से ग्रस्त मरीज़ को, जितनी जल्दी अस्पताल लाया जाएगा, उतनी जल्दी उसका इलाज हो पाएगा। थोड़ी सी देर भी ज़िंदगी और मौत का सवाल खड़ा कर देती है।
आज हम बता रहे हैं कि किस तरह की हेल्थ एमर्जेंसी को नज़रअंदाज़ नहीं करा जाना चाहिए और आप अपने इलाज के लिए बेस्ट अस्पताल कैसे ढूंढ़ सकते हैं। एमर्जेंसी को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है- क्रॉनिक यानी पुरानी बीमारी और एक्यूट यानी घातक बीमारी।
पुरानी यानी क्रॉनिक बीमारी में डायबिटीज़, हाइपरटेंशन, किडनी और थैलासीसीमिया आते हैं। वहीं, घातक यानी एक्यूट बीमारियों में, लकवा, थकावट, सीने में दर्द, खून बहना, बेहोशी और एक्सीडेंट आते हैं। इस तरह की सभी परिस्थिति में फौरन मेडिकल अटेंशन की ज़रूरत होती है इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
डायबिटीज़ और ब्लड प्रेशर
अगर किसी को मधुमेह है और उसका स्तर लगातार ऊपर-नीचे जा रहा है, तो उस इंसान को तुरंत इलाज की ज़रूरत है। ऐसे ही अगर ब्लड प्रेशर की समस्या है, और बीपी बढ़ रहा है, तो ऐसे में मरीज़ को फौरन डॉक्टर की सलाह की ज़रूरत होती है। हाई बीपी से कई तरह की गंभीर बीमारियां जुड़ी होती हैं।
कीमोथेरेपी और डायलसिस
कीडनी फेलियर की वजह से जिस व्यक्ति का कोरोना वायरस महामारी से पहले डायलसिस चल रहा था, वो अब भी वैसे ही चलेगा। अगर डायलसिस नहीं किया गया तो किडनी के मरीज़ की हालत काफी गंभीर हो सकती है। ऐसा ही कैंसर और थैलासीसीमिया के मरीज़ों के साथ भी है, जिनकी पहले से कीमोथेरेपी चल रही थी, वह अब भी चलना ज़रूरी है।
गंभीर बीमारियां
लकवा
अगर किसी व्यक्ति को शरीर के एक हिस्से या चेहरे पर पैरालिसिस अटैक पड़ता है, तो उसे तुरंत अस्पताल ले जाने की ज़रूरत है।
सीने में दर्द
सीने में तेज़ दर्द दिल के दौरे का भी लक्षण है, जिसमें अगर मेडिकल ट्रीटमेंट समय पर नहीं हुआ तो जान जा सकती है।
एमर्जेंसी की स्थिति में क्या करें?
तबियत खराब होने पर फौरन अपने डॉक्टर से बात करें और बताएं कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि अस्पताल में कोरोना वायरस के मरीज़ों का भी इलाज चलता है और ऐसे में आपका डॉक्टर आपको सुक्षित रखने के इंतज़ाम कर सकता है। अगर आप अपने डॉक्टर से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं, तो किसी दूसरे डॉक्टर से संपर्क की कोशिश करें, लेकिन नज़रअंदाज़ किसी हालत में न करें।