लखनऊ में कोरोना की चपेट में मरीज कैसे आए सीएमओ की टीम नहीं कर पा रही कंफर्म।
लखनऊ । संक्रमण का प्रसार थामने के लिए लॉकडाउन किया गया। मगर, राजधानी की स्थिति दिनों दिन बिगड़ रही है। कारण, स्वास्थ्य विभाग का सुस्त रवैया है। यहां मरीज पॉजिटिव आने पर परिवारजन को क्वारंटीन कर पल्ला झाड़ा जा रहा है। वहीं मरीज में संक्रमण कहां व किससे आया, इसका पता लगाने में अफसर नाकाम हो रहे हैं।
राजधानी में कोरोना नियंत्रण के लिए अफसरों की फौज है। सीएमओ कार्यालय में करीब नौ एडिशनल सीएमओ, पांच डिप्टी सीएमओ के अलावा कई अधिकारियों को कोरोना के लिए तैनात किया गया है। अस्पतालों व सीएचसी पर ओपीडी बंद हैं। इमरजेंसी में भी मरीज कम हैं। सिर्फ कोरोना नियंत्रण ही मकसद है। बावजूद, मरीज की स्क्रीनिंग, संदिग्ध की समय पर सैंपलिंग व पॉजिटिव मरीज में वायरस आने का सोर्स पता करने में लापरवाही हो रही है। मरीज में कोरोना पहुंचाने वाले व्यक्ति की तलाश न हो पाने से संक्रमण बढ़ता ही जा रहा है। लॉकडाउन में यदि संक्रमित मरीज के सोर्स तक नहीं पहुंच सके, तो भविष्य में स्थिति भयावह होना तय है। यह हाल तब है जब डब्लूएचओ ने भी मरीज में संक्रमण के सोर्स का पता लगाना बीमारी से निपटने के लिए आवश्यक बताया है। बावजूद कई मरीजों का सोर्स नहीं पता किया गया है। इसमें हाल के कई कुछ केस हैं।
इनमें कहां से आया कोरोना, कुछ नहीं पता
23 अप्रैल : विरहाना निवासी केबल ऑपरेटर में कोरोना की पुष्टि हुई। पूरा परिवार संक्रमण की चपेट में आ गया। कई दिन बीतने के बाद भी वायरस किसके जरिए के बल ऑपरेटर में आया, पता नहीं किया जा सका।
26 अप्रैल : ट्रॉमा सेंटर के सीसीएम विभाग के आइसीयू की नर्स में को कोरोना की पुष्टि हुई है। परिवार के पांच लोगों में भी वायरस पाया गया। विभाग के 86 डॉक्टर-पैरामेडिकल स्टाफ संपर्क में आए। नर्स में कोरोना कहां से आया, अभी तक पता नहीं है।
28 अप्रैल : लालबाग इलाके के सब्जी विक्रेता में कोरोना की पुष्टि हुई। इसके घर के कई सदस्य भी ठेला लगाते हैं। सब्जी वाले में कोरोना का क्या सोर्स रहा उसकी तलाश नहीं की जा सकी है।
सीएमओ डॉ. नरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि कई मरीजों के म ल्टीपल कांटेक्ट होते हैं। ऐसे में क्लीनिकल पैटर्न पर तलाश की जाती है। इनके एरिया में छानबीन चल रही है। पॉजिटिव मरीज के सोर्स तलाशने पर टीम को निर्देश दिए गए हैं।