गयाधाम तीर्थ के पंडा खुद कर रहे पिंडदान, शास्त्रों और पुराणों में ‘एक पिंड, एक मुंड’ का विधान जरूरी


वायुपुराण, गरूड़पुराण व गया महात्म्य जैसे धर्मशास्त्र के अनुसार हर दिन गयाधाम में ‘एक पिंड, एक मुंड' बेहद जरूरी है। लेकिन, लॉकडाउन में बाहर से एक भी पिंडदानी गयाधाम नहीं आ रहे हैं। ऐसी स्थिति में पिंडदानियों को सुफल देने वाले पंडा खुद पिंडदान कर वर्षों की परंपरा ‘एक पिंड' का बखूबी निर्वहन कर रहे हैं।


तीर्थ पुरोहित भगवान विष्णुचरण पर पिंड अर्पित कर गयासुर राक्षस के भगवान विष्णु से मांगे गए वरदान को आस्था व श्रद्धा के साथ पूरा कर रहे हैं। गयाधाम की परंपरा का निर्वहन करते हुए बुधवार व गुरुवार को श्री विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के सचिव व तीर्थ पुरोहित शंभू लाल विट्ठल ने पिंडदान किया। गुरुवार की सुबह कर्मकांड के बाद भगवान विष्णुचरण पर पिंड अर्पित किए। गयापाल श्री विट्ठल ने कहा कि शास्त्रों व पुराणों में ‘एक पिंड, एक मुंड' का विधान जरूरी बताया गया है।


लॉकडाउन में दैनिक पूजा की तरह गयापाल पिंडदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गयाधाम की महत्ता को कायम रखते हुए पिंड में पितरों की मोक्ष की कामना के साथ कोरोना से जल्द मुक्ति की कामना की। साथ आने वाले समय में भी विश्व में शांति व खुशहाली की कामना की है।


आचार्य नवीनचंद्र मिश्र वैदिक ने कहा कि वायु पुराण के अनुसार वैष्णव भक्त गयासुर के लिए जनकल्याणार्थ मिले वरदान के अनुसार गयाधाम में प्रतिदिन एक मुंड (शवदाह) व पिंड (पिंडदान) अनिवार्य है। विशेष परिस्थिति में ऐसे अवसर का अभाव होता है तो शवदाह की जगह पुतला का दहन व पिंड की जगह तीर्थ पुरोहित स्वयं पिंडदान कर परंपरा का निर्वहन करते हैं।