आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित एप से एकत्र की जाएगी सूचनाएं। कोविड-19 के संदर्भ में प्रीवेंटिव दवाओं का देखा जाएगा असर।
लखनऊ। आयुष मंत्रालय आरोग्य सेतु एप की तर्ज पर जल्द एक नया एप लाने की तैयारी में है। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए आयुर्वेद, होम्योपैथिक व यूनानी औषधियों का प्रोफाइलेक्सिस (रोग निरोधक) की तरह इस्तेमाल कर रहे लोगों को इस एप के जरिये जोड़ा जाएगा। उनसे जानकारी ली जाएगी कि वह जिन औषधियों का प्रयोग संक्रमण से बचाव और इम्युनिटी बूस्टर की तरह कर रहे हैं, उससे उनको कितना लाभ हुआ है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित इस एप के जरिये मंत्रालय यह जानने की कोशिश में है कि कौन-कौन सी औषधियों से लोगों को सबसे अधिक लाभ मिल रहा है।
मंत्रालय के सचिव डॉ. राजेश कुटेचा ने यह जानकारी एक वेबीनार में दी। डॉ. कुटेचा ने बताया कि कोविड-19 के इस संक्रमण काल में लोग आयुर्वेद, होम्योपैथिक,यूनानी व सिद्ध चिकित्सा पद्धति का प्रयोग कर इम्युनिटी को बढ़ा रहे हैं। वहीं इनका प्रयोग रोग निरोधक दवाओं के रूप में भी कर रहे हैं। ऐसे में इस एप के जरिये वृहद स्तर पर डाटा कलेक्ट करने की कोशिश होगी। इस डाटा से ऐसी दवाओं की जो प्रोफाइलेक्सिस के तौर पर सबसे ज्यादा उपयोगी हैं, उनकी पहचान की जाएगी। मकसद है कि न केवल कोविड-19 बल्कि किसी भी संक्रमण से निपटने के लिए अलग-अलग विधाओं में बचाव के तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली सर्वाधिक उपयोगी औषधियां कौन-कौन सी हैं, इसकी जानकारी एकत्र की जा सके। इसे विज्ञान की कसौटी पर परख कर लोगों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने व संक्रमण से बचाव के लिए उपयोग में लाया जा सकेगा।
कैसे काम करेगा एप
डॉ. कुटेचा ने बताया कि एप को लोग स्वेच्छा से डाउनलोड कर रोग निरोधक के रूप में प्रयोग की जा रही औषधियों का विवरण दे सकेंगे। उन्हें बताना होगा कि वह कब से उन औषधियों का प्रयोग रोग निरोधक या इम्युनिटी बूस्टर के लिए कर रहे हैं। उन्हें कोविड-19 संक्रमण हुआ अथवा नहीं? उन्हें कोई अन्य संक्रमण तो नहीं हुआ? उम्मीद की जा रही है जिस तरह से कुछ ही समय में आरोग्य सेतु एप को पांच करोड़ से अधिक लोगों ने डाउनलोड किया, यदि 10 -20 लाख लोग भी इस एप से जुड़कर अपनी जानकारी साझा करेंगे तो बहुत बड़ी तादाद में डाटा का संकलन हो सकेगा। इस डाटा की एनालिसिस करके भविष्य के लिए महत्वपूर्ण आयुष औषधियों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा क्योंकि कोविड-19 के लिए फिलहाल कोई सटीक दवा किसी भी पद्धति में उपलब्ध नहीं है। ऐसे में बचाव व उपचार के लिए पारंपरिक औषधियों को भी खंगाला जा रहा है।