विश्वनाथ मंदिर में स्पर्श के लिए धोती-कुर्ता और साड़ी ड्रेस कोड

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में मंगला आरती के बाद से मध्याह्न भोग आरती तक बाबा के दरस-परस यानी दर्शन और स्पर्श सुविधा मिलेगी।



वाराणसी । श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में मंगला आरती के बाद से मध्याह्न भोग आरती तक बाबा के दरस-परस यानी दर्शन और स्पर्श सुविधा मिलेगी। धोती-कुर्ताधारी पुरुष व साड़़ी पहनी महिलाएं ही यह सौभाग्य प्राप्त कर सकेंगी। इससे इतर परिधान में सिर्फ दर्शन की ही सुविधा मिलेगी। श्रीकाशी विद्वत परिषद ने श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन को कुछ ऐसे ही सुझाव दिए हैैं। धर्मार्थ कार्य-संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री डा. नीलकंठ तिवारी ने विधिक प्रक्रिया पूरी कर इन्हें जल्द से जल्द लागू करने का निर्देश भी दे दिया है।


दरअसल, मंदिर में दर्शन-पूजन, पूजा पद्धति और कारिडोर क्षेत्र में मिले विग्रहों व मंदिरों के संयोजन के लिहाज से रविवार को कमिश्नरी सभागार में बैठक बुलाई गई थी। अध्यक्षता करते हुए मंत्री डा. नीलकंठ तिवारी ने विद्वतजनों के समक्ष विचार के लिए दोनों प्रश्न रखे। विद्वानों ने एक मत से कहा कि बाबा का स्पर्श-दर्शन मध्याह्न आरती से पहले 11 बजे तक किया जा सकता है। इससे अधिक से अधिक श्रद्धालु बाबा का स्पर्श-दर्शन कर सकेंगे लेकिन किसी विग्रह को स्पर्श करने के लिए एक प्रकार का वस्त्र तय होना आवश्यक है। इसमें पुरुषों को धोती-कुर्ता व महिलाओं को साड़ी पहनने का नियम बनना चाहिए। पैंट-शर्ट, जींस-टीशर्ट, सूट-टाई-कोर्ट आदि पहनावे पर सिर्फ दर्शन की सुविधा दी जा सकती है। इसके लिए विद्वानों ने उज्जैन स्थित महाकाल ज्योतिर्लिंग समेत दक्षिण भारतीय मंदिरों का हवाला दिया। कहा महाकाल में भस्म आरती के समय स्पर्श करने वाले बिना सिले वस्त्र पहनते  हैं। अन्य सिर्फ दर्शन-पूजन कर पाते हैं। विद्वत परिषद ने मंदिर के अर्चकों का भी ड्रेस कोड निर्धारित करने का सुझाव दिया। कहा इससे भीड़ में भी अर्चक आसानी से पहचाने जा सकेंगे।


पावन पथ में होंगे काशी खंड के सभी प्रमुख मंदिर


कारिडोर की भव्यता में बाधक विग्रहों व 43 मंदिरों के विस्थापन व संयोजन पर राय से पहले विद्वत परिषद ने निरीक्षण की इच्छा जताई। कहा किसी भी स्थान का बड़ा महत्व होता है, इसलिए सभी विग्रह  शास्त्रोक्त और पौराणिक विधि से संयोजित कर सही किए जाएंगे। विद्वानों ने साक्षी विनायक, ढूढिऱाज गणेश मार्ग से दर्शन- पूजन कराने और समूचे बनारस में स्थित काशी खंड के मंदिरों के जीर्णोद्धार की मांग की। मंत्री डा. नीलकंठ ने कहा कि काशी खंड के सभी मंदिरों को पावन पथ में शामिल किया गया है। बैठक में प्रो. वशिष्ठ तिवारी, प्रो. रामचंद्र पांडेय, डा. सुखदेव त्रिपाठी, प्रो. रामकिशोर त्रिपाठी, डा. दिनेश गर्ग, डा. राम नारायण द्विवेदी समेत काशी विद्वत परिषद के पदाधिकारी, मंडलायुक्त मंदिर सीईओ, एसडीएम, एसीईओ आदि थे।