तो इसलिए शादी के बाद सिंदूर लगाती हैं महिलाएं

भारतीय नारी और सिंदूर का रिश्‍ता अटूट है। सुहाग की निशानी के रूप में उत्‍तर भारतीय महिलाएं सिंदूर को अपनी मांग में धारण करती हैं। दक्षिण भारत विवाहित महिलाओं में ऐसी परंपरा नहीं है। नारी के लिए सिंदूर बड़ा गहना होता और इसका संबंध पूरी तरह से पति से होता है। सिंदूर को शादीशुदा महिलाओं के लिए सौभाग्‍य का चिह्न माना जाता है।




  1. माना जाता है कि पति की लंबी उम्र की कामना के लिए सिंदूर लगाया जाता है। शादी में फेरों के वक्‍त पति स्‍वयं अपने हाथ से पत्नी की मांग में सिंदूर भरता है। इसके बाद महिला तब तक माथे में सिंदूर भरती है जब तक वह सुहागिन रहती है। सिंदूर को पति की उम्र के साथ जोड़ा जाता है।

  2. पौराणिक मान्यताओं में लाल रंग से सती और पार्वती की उर्जा को व्यक्त किया गया है। सती को हिंदू समाज में एक आदर्श पत्नी के रूप में जाना जाता है जो अपने धर्म, अपनी शक्ति के दम पर भगवान से भी अपने वचन मनवाने की शक्ति रखती है। मान्यता यह भी है कि सिंदूर लगाने से मां पार्वती महिलाओं को अखंड सौभाग्यशाली होने का आशीर्वाद देती हैं।

  3. सिंदूर लगाने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं। सिंदूर बनाने में अक्सर हल्दी, चंदन और हर्बल रंगो का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि सिंदूर धारण करने से दिमाग शांत रहता है और घर में सुख-शांति रहती है।

  4. सिंदूर लगाने से ब्‍लड प्रेशर नियंत्रित रहता है। सिंदूर महिलाओं में काम भावना को जाग्रत करने में भी प्रेरक का काम करता है।

  5. सामाजिक रीति-रिवाजों में जब किसी लड़की की शादी होती है तो उस पर एक नए परिवार को संभालने की जिम्‍मेदारी आ जाती है। माना जाता है कि मांग में सिंदूर लगाने से मन शांत रहता है और तनाव से राहत मिलती है। सिंदूर महिला को आंतरिक संबल प्रदान करता है।

  6. मांग में जिस स्‍थान पर सिंदूर भरा जाता है वह ब्रह्मरंध्र और अध्मि नामक मर्म के ठीक उपर होता है। सिंदूर मर्म स्थान को बाहरी और  बुरे प्रभावों से बचाता है। सिंदूर स्त्री के शरीर से निकलने वाली विद्युतीय उर्जा को भी नियन्त्रित करता है।