उप्र माध्यमिक शिक्षा विभाग तय समय सीमा पर सस्ती दर की किताबें नहीं उपलब्ध करवा पाने पर प्रकाशकों पर अधिकतम 25 हजार रुपये प्रतिदिन जुर्माना लगाएगा।
लखनऊ । अब सस्ती दर की किताबें दिलाने में देर करना प्रकाशकों को काफी महंगा पड़ेगा। माध्यमिक शिक्षा विभाग तय समय सीमा पर किताबें न उपलब्ध करवा पाने पर अधिकतम 25 हजार रुपये प्रतिदिन जुर्माना लगाएगा। यूपी बोर्ड के स्कूलों में कक्षा नौ से कक्षा 12 तक राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) पाठ्यक्रम की किताबें पढ़ाई जा रही हैं। ये सरकारी किताबें बाजार में नहीं मिलती, क्योंकि निजी प्रकाशक मोटा कमीशन देते हैं। ऐसे में बाजार के साथ-साथ सरकारी व प्राइवेट स्कूलों में भी बुक स्टॉल बड़े पैमाने पर लगाए जाएंगे।
माध्यमिक शिक्षा परिषद ने इसके लिए ई-टेंडर जारी किया है। वहीं 20 फरवरी तक चयनित प्रकाशकों को किताबें छापने के लिए आदेश जारी कर दिए जाएंगे। उनके सामने 15 मार्च तक किताबें बाजार में उपलब्ध करवाने की शर्त रखी गई है। अगर ये तय समय पर किताबें न उपलब्ध करवा पाए तो पहले सप्ताह में पांच हजार रुपये से लेकर एक महीना बीतने पर 25 हजार रुपये प्रतिदिन जुर्माना वसूला जाएगा।
अभी दुकानदार सरकारी किताबों से कमीशन न मिलने के कारण इसे नहीं बेचते। वह निजी प्रकाशकों से मोटा कमीशन लेकर उनकी किताबें बेचते हैं। उन पर सीधा कोई नियंत्रण भी नहीं है। ऐसे में सरकारी प्रकाशक डिमांड न होने का बहाना बनाते हैं। आखिरकार विद्यार्थी एनसीईआरटी की 15 से 20 रुपये तक में मिलने वाली सस्ती किताबें न मिलने पर निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें खरीदते हैं।
स्कूलों में बुक स्टॉलों की होगी निगरानी
प्रमुख सचिव (माध्यमिक शिक्षा) आराधना शुक्ला कहती हैं कि अधिक से अधिक स्कूलों में बुक स्टॉल लगे यह डीआइओएस की जिम्मेदारी होगी। बुक स्टॉलों का नियमित निरीक्षण होगा। किताबों की कमी हुई तो कड़ी कार्रवाई होगी।
प्राइमरी की तरह बांटे किताबें तो खत्म हो भ्रष्टाचार
उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय मंत्री डॉ. आरपी मिश्रा कहते हैं कि प्राइमरी स्कूलों की तरह एनसीईआरटी की किताबें स्कूलों में सीधे उपलब्ध करवा दी जाएं तो भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा। अभी माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा कोई ठोस नीति न बनाए जाने की आड़ में खेल होता है। कमीशन न मिलने से बाजार में दुकानदार किताबें बेचते नहीं। प्रकाशक यह कहकर बच जाते हैं कि किताबें बहुत हैं दुकानों से डिमांड नहीं आ रही या पूरी पहुंचा दी गई हैं।