पंजाब के डीजीपी दिनकर गुप्ता पर कैट की तलवार लटक गई है और उनके पद के लिए खतरा पैदा होग गया है। कैट ने उनकी नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका स्वीकार कर ली है।
चंडीगढ़ । पंजाब के डीजीपी दिनकर गुप्ता पर तलवार लटक गई है। उनकी नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका को सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) ने स्वीकार कर लिया है। इस याचिका पर अब सुनवाई होगी। शुक्रवार को हुए इस घटनाक्रम ने पंजाब पुलिस और पंजाब सरकार में हड़कंप मचा दिया है।
पंजाब की एंटी ड्रग स्पेशल टास्क फोर्स के डीजीपी मोहमद मुस्तफा और पीएसपीसीएल के डीजीपी (1986 बैच के अधिकारी) सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय ने डीजीपी नियुक्त किए गए दिनकर गुप्ता को कैट में चुनौती दी थी। दोनों ने यह याचिका यूपीएससी, केंद्र सरकार, पंजाब सरकार और दिनकर गुप्ता के खिलाफ दायर की थी।
दायर याचिका मेंं सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय ने कहा है कि कि वह पंजाब के डीजीपी नियुक्त किए गए दिनकर गुप्ता से सीनियर हैं और मेरिट बेस में भी उनसे आगे है। इसलिए दिनकर गुप्ता से पहले डीजीपी बनने का अधिकार उन्हें मिलना चाहिए। वहीं 1985-बैच के अधिकारी मोहम्मद मुस्तफा के वकील ने अपनी दलील में कहा था कि डीजीपी लिस्ट में से वह सबसे सीनियर हैं। उनका पुलिस में रिकॉर्ड भी अच्छा रहा है।
सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय ने याचिका दायर कर उन्होंने यूपीएससी को नए पैनल बनाने के लिए निर्देश देने की अपील की थी। सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय ने कहा था कि उन्होंने पंजाब में आतंकवाद के दौर से लेकर अभी तक कईं अहम विभागों में काम किया है।
बता दें कि पंजाब ने दिनकर गुप्ता को पंजाब का डीजीपी नियुक्त किया था। मुस्तफा का नाम भी उस सूची में था और इसे पंजाब सरकार की ओर से यूपीएससी को भेजा गया था, लेकिन यूपीएससी की ओर से जिन तीन अधिकारियों का नाम शॉटलिस्ट किया गया उनमें मुस्तफा का नाम नहीं था। यूपीएससी की ओरसे जो पैनल भेजा गया था उसमें दिनकर गुप्ता, एमके तिवारी और वीके भांवरा के नाम थे। इनमें से पंजाब सरकार ने दिनकर गुप्ता को सिलेक्ट कर डीजीपी बनाया।