पुत्रवती माताएं पुत्र और पति की सुख समृद्धि के लिए सकट व्रत आज रखेंगी। इसे तिलकुटा चौथ भी कहते है। ग्रन्थों के अनुसार इसी तिथि को श्रीगणेश जी का जन्म हुआ था। इसलिए इसे श्रीगणेश जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं और भगवान गणेश के प्रतिरूप चन्द्रदेव को अर्घ्य देकर पूजन करते हैं।
ज्योतिषाचार्या आनंद दुबे ने बताया कि सकट चौथ व्रत संतान की लम्बी आयु के लिए किया जाता है। इस दिन संकट हरण गणपति गणेशजी का पूजन होता है।
चंद्रदर्शन
चंद्रोदय रात 8:33 पर होगा। सकट की तिथि 13 जनवरी को शाम 5:32 से शुरु होकर 14 जनवरी दोपहर 2:49 तक है। आनंद दुबे, ज्योतिषाचार्य
पूजा में दूर्वा, शमी पत्र, बेल पत्र, गुड़ और तिल के लडडू चढ़ाए जाते है। यह व्रत संतान के जीवन में विध्न बाधाओं को दूर करता है संकटों तथा दुखों को दूर करने वाला और रिद्धि-सिद्धि देने वाला है। इस दिन माताएं निर्जल व्रत रखकर शाम को फलाहार लेती है और दूसरे दिन सुबह सकट माता पर चढ़ाए गए पूड़ी-पकवानों को प्रसाद रूप में ग्रहण करती है।
सकट पर्व को लेकर रविवार को बाजारों में खूब भीड़ रही। व्रत रहने वाली महिलाओं ने बाजारा में तिल, गुड़, गंजी खरीदा। शाम को चन्द्रोदय के बाद तिल, गुड़ आदि के जरिए पूजा की जाती है।चन्द्रमा को अर्घ्य देकर तिलकुट का पहाड़ बनाया जाता है। शकरकंदी भी रखी जाती है। अर्घ्य और पूजा के बाद सब कथा सुनते हैं। इसके उपरांत सबको प्रसाद दिया जाता है।