मकर संक्रांति ऐसा पर्व है जिसे भारतवर्ष में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। इस पर्व को उत्तरायणी भी कहा जाता है। किसान अच्छी फसल के लिए इस पर्व पर भगवान को धन्यवाद देते हैं। ऐसा माना जाता है कि मकर संक्रांति पर पृथ्वी पर अच्छे दिनों की शुरुआत होती है।
यह त्योहार दान का पर्व है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान, पूजा करने का विशेष महत्व है। इस त्योहार को सुख और समृद्धि प्रदान करने वाला माना जाता है। इस त्योहार पर तीर्थराज प्रयाग एवं गंगासागर में स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गई है। इस दिन जरूरतमंदों को दान अवश्य करें। खिचड़ी का दान इस त्योहार पर विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन यज्ञ में दिए गए द्रव्य को ग्रहण करने के लिए देवता धरती पर अवतरित होते हैं। इस दिन तिल दान करने की भी प्रथा है। इस दिन जल में लाल फूल और अक्षत डालकर सूर्य को अर्घ्य अवश्य दें। मकर संक्रांति पर सूर्यदेव की आराधना से जीवन में खुशियां आती हैं। इस दिन श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करें। गाय को चारा खिलाएं। बड़ों का आशीर्वाद लें। मकर संक्रांति के दिन पेड़-पौधों को नुकसान न पहुंचाएं। हरी सब्जियां, फल आदि का सेवन न करें। मकर संक्रांति के दिन काले रंग के वस्त्र न पहनें। तामसिक भोजन से परहेज करें। बासी भोजन का दान न करें।