बे-कार हैं मुख्यमंत्री, 5 साल में 92 लाख से बढ़कर 1.77 करोड़ रु. हुई संपत्ति

केजरीवाल पर चलने वाले मुकदमों में इजाफा हुआ है। पिछले हलफनामे के अनुसार उन पर दस मुकदमे दर्ज थे जिनकी संख्या अब 13 हो गई है।



नई दिल्ली । मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा दाखिल नामांकन के मुताबिक, उनकी सालाना आय में ज्यादा इजाफा नहीं हुआ है। वर्ष 2015 के नामांकन के हलफनामे में उनकी वार्षिक आय 2.7 लाख थी जो 2018-19 में जाकर 2.81 लाख के करीब जा पहुंची है। हलफनामे के अनुसार, मुख्यमंत्री केजरीवाल के नाम पर कार नहीं है। हालांकि, उनकी पत्नी के नाम से बलेनो कार जरूर है।


केजरीवाल पर चलने वाले मुकदमों में इजाफा हुआ है। पिछले हलफनामे के अनुसार उन पर दस मुकदमे दर्ज थे, जिनकी संख्या अब 13 हो गई है। पिछले हलफनामे के अनुसार उनके पास 92 लाख रुपये की अचल संपत्ति थी, बाजार भाव बढ़ने अब इनकी कीमत एक करोड़ 77 लाख रुपये हो गई है।


वर्ष 2015 का हलफनामा


वर्ष 2013-14 में केजरीवाल की वार्षिक आय: 2,07,330 रुपये


2013-14 में उनकी पत्नी की वार्षिक आय: 11,83,390


नकदी : 2.26 लाख रुपये


अचल संपत्ति का मूल्य : 92 लाख रुपये


बेटी के पास : 31 हजार रुपये


केजरीवाल पर दर्ज मुकदमे : दस


2020 का हलफनामा


वर्ष 2018-19 में केजरीवाल की आय : 2,81,375 रुपये


पत्नी की आय: 9,94,790 रुपये


नकदी : 9.95 लाख रुपये


केजरीवाल पर मुकदमे : 13


अचल संपत्ति का मूल्य : 1.77 करोड़ रुपये


बता दें कि सीएम केजरीवाल ने मंगलवार को पर्चा दाखिल करना पड़ा। निर्वाचन अधिकारी कार्यालय में भीड़ होने की वजह से उन्हें छह घंटे इंतजार करना पड़ा। मुख्यमंत्री के साथ नामांकन कराने उनके माता-पिता के अलावा पत्नी सुनीता केजरीवाल और बेटी हर्षिता भी पहुंची थीं। लेकिन, प्रत्याशी के साथ चार से ज्यादा लोगों को जाने की अनुमति नहीं थी।


इसलिए उनकी पत्नी और बेटी पहले ही बाहर रुक गईं थीं, जिन्हें देरी होने पर केजरीवाल ने बाद में घर भेज दिया। मुख्यमंत्री से पहले नामांकन कराने वालों में छोटे राजनीतिक दलों के साथ निर्दलीय उम्मीदवार थे, जो सुबह सात बजे के करीब ही जाम नगर स्थित निर्वाचन कार्यालय पहुंच गए थे। इनमें दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) से निकाले गए कई कर्मी भी शामिल थे, जो मुख्यमंत्री पर वादा खिलाफी और अन्ना आंदोलन को धोखा देने का आरोप लगाकर नामांकन करने पहुंचे थे।


सोमवार को केजरीवाल मंदिर मार्ग स्थित वाल्मीकि मंदिर से रोड शो के माध्यम से नामांकन कराने के लिए निकले थे। लेकिन, निर्धारित समय तक निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय नहीं पहुंच पाने की वजह से वह नामांकन नहीं करा सके थे। इसके बाद उन्होंने मंगलवार को परिवार के साथ पहुंचकर नामांकन कराया।