हिन्दू कैलेंडर के अनुसार माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मौनी अमावस्या या माघी अमावस्या कहा जाता है।
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मौनी अमावस्या या माघी अमावस्या कहा जाता है। माघ की अमावस्या के कारण इसे माघी अमावस्या कहा जाता है। इस बार मौनी अमावस्या अंग्रेजी कैलेंडर के जनवरी माह की 24 तारीख दिन शुक्रवार को है। स्कंद पुराण में बताया गया है कि मुनि शब्द से मौनी शब्द की उत्पत्ति हुई है। मौनी अमावस्या के दिन व्रत के साथ मौन रखा जाता है, जिससे व्यक्ति का आत्मबल मजबूत होता है। यह भी कहा जाता है कि इस दिन ही प्रथम पुरुष मनु का जन्म हुआ था।
मौनी अमावस्या मुहूर्त
माघ मास की अमावस्या तिथि का प्रारंभ 24 जनवरी दिन शुक्रवार को तड़के 02 बजकर 17 मिनट पर हो रहा है, जो अगले दिन 25 जनवरी दिन शनिवार को तड़के 03 बजकर 11 मिनट तक है। ऐसे में 24 जनवरी को पूरे दिन स्नान, दान और पूजा पाठ किया जाएगा।
मौनी अमावस्या को गंगा स्नान
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या या माघी अमावस्या के दिन गंगा का जल अमृतमय होता है, इसलिए इस दिन गंगा स्नान का सर्वाधिक महत्व है। इस दिन गंगा स्नान के अलावा अन्य नदियों के जल में स्नान किया जाता है।
मौनी अमावस्या को मौन व्रत
मौनी अमावस्या के दिन लोग गंगा स्नान करते हैं, पूरे दिन व्रत रखते है और साथ ही मौन रहते हैं। आत्मबल को मजबूत करने के लिए मौन रखा जाता है।
मौनी अमावस्या को दान
मौनी अमावस्या को महात्मा तथा ब्राह्मणों को तिल, तिल के लड्डू, तिल का तेल, आंवला, वस्त्र आदि दान करते हैं। उनको कम्बल, सर्दी के वस्त्र आदि भी दान करना चाहिए।
अमावस्या को पिंडदान
ऐसी भी मान्यताएं हैं कि अमावस्या के दिन गंगा स्नान के बाद पितरों को जल देने से उनको तृप्ति मिलती है। इस दिन तीर्थस्थलों पर पिंडदान करने का विशेष महत्व है।
मौनी अमावस्या को पीपल की पूजा
ऐसी मान्यता है कि पीपल की जड़ में श्रीहरि विष्णु, तने में भगवान शिव तथा अग्रभाग में ब्रह्माजी का निवास है। मौनी अमावस्या को पीपल की पूजा करने से सौभाग्य में बढ़ोत्तरी होती है।